शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

एक गधे का पत्र इंसानों के नाम


सभी भाइयो को इस गधे का सादर नमस्कार ,
आशा है आप और आपके सभी लोग अच्छे और भले होगे सिवाय मुझे छोड़कर ,
वैसे आजकल मै भी सुखी हूँ चुनाव आयोग की कृपा से ,क्योकि चुनाव के कारन आचर्सहिंता लगने से आन्दोलन जो बंद है ,आप को लग रहा होगा की आन्दोलन बंद होने और मेरे सुखी होने में क्या रिश्ता है ,बहुत बड़ा रिश्ता है ,आपको बाद में पता चलेगा मै तो भगवन से मनाता हूँ की साल में कम से कम चार बार चुनाव हो और मेरे सुख की घड़ी चलती रहे ।
अब आप जान ले की आन्दोलन नम होने से मै क्यो खुश होता हूँ ,क्योकि इन आंदोलनों का सबसे बड़ा शिकार तो मै ही होता
हूँ ,हर मौके पे आप लोग बलि का बकरा मुझे ही बनाते है ,मुंबई में राज ठाकरे उत्तर भारतीयों पर हमला करता है ,और आप मुझ पे हमला कर देते है आन्दोलन के बहाने आप मुझ पे चढ़ जाते है ,अरे भाई राज ठाकरे की गलती की सजा मुझे क्यो ?
आतंकवादी कही बम धमाका करते है और आप मेरे पीठ पे आतंकवादी और पाकिस्तान का पोस्टर लगा कर सड़क पर घुमाते है और लगे हाथ जुते चप्पलो से ठुकाई भी
कर देते है , नेता भ्रस्ताचार करते है और मेरे पीठ पे ब्र्ह्स्ताचारी की मुहर लगा देते है ,बिजली कट गए तो बिजली बिभाग के
सामने मुझे विभाग का अधिकारी बनाकर डंडे से पिटाई की जाती
है और पोस्टर पे मै चोर हूँ लिखकर मेरे पीठ पे लगा दिया जाता है , आख़िर क्यो दुसरे की गलतियों की सजा मुझे मिल रही है । क्या इस दुनिया में सीधा होना गुनाह है ,मै भगवन से भी पूछता हूँ की मुझे सीधा जानवर क्यो बनाया ,एक तो मेरा मुह ऐसा बनाया के जिसमे ऐसा कुछ भी नही की कोई दुबारा देखना चाहे उस पर भी मेरी किस्मत dhobi से बाँध दी जो हर सुबह पीठ पर कपड़े का gatthar laad कर घाट का सैर कराने ले कर चल देता है अपने तो कपड़ा dhota है मुझे tej dhoop में छोड़ देता है , और जब कभी कोई आन्दोलन करने wala आ जाता है तो उस दिन वो मेरी dusri shift भी लगा देता है ,kahne को तो मुझे आदमी माँ sitla devi का sawari manta है लेकिन मेरी जो hajamat और jalalat आप आदमी करते है उससे मै खून के आंसू rota हूँ ।
बस आप से एक ही gujarish है की मुझे भी insan समझे क्योकि मै भी आपका ही हूँ क्योकि aksar मैंने सुना है आदमी ,आदमी को kahta है गधे कही के तो फिर मुझसे ये berukhi क्यो ।
आपका अपना ही
gardhab singh


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