शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

सावधान


आपका बेटा कुंवारा रह जाएगा ।
उपर लिखा शीर्षक पढ़कर बहुतो को यह कोई हास्य रचना या कोई सनसनी वाली ख़बर लगेगी ,लेकिन यकीं मानिये ये एक ऐसी चेतावनी है जिससे आप सावधान नही हुए तो आपको अपने बेटे के लिए सुंदर और सुशिल बहु लाने की इच्छा दुस्व्पन बनकर रह जायेगी । देश में जिस कदर भ्रूण हत्या का दर बढ़ रहा है और लड़कियों की संख्या लड़को के अनुपात में कम हो रही है ऐसे में कोई आश्चर्य नही की आने वाले समय में लड़को को उम्र भर कुंवारा रहना पड़ जाए । यह बाते अभी भले ही मजाक लगे मगर देश की जनसँख्या के आंकडो का अध्यन करे तो जो तस्वीर उभरकर सामने आती है वह यह बता रही है की देश में ६१ लाख लड़को के लिये लड़किया नही है ,ऐसे में सामाजिक व्यवस्था जिश कदर प्रभावित होगी वह एक नयी समस्या बन सकती है ।
२००१ के जनसँख्या आंकडे में जो लिंगानुपात दर्शया गया है वह न सिर्फ़ चिंता का विषय है बल्कि आधुनिक परिवेश में भी पित्रसत्तात्मक सोच के बुलंद हौसलों को दर्शाता है । दरअसल बेटा पैदा करने की चाहत और बेटे की ही मुखाग्नि से मोक्ष मिलने की धारणा ने इन्सान के मानसिक संतुलन को इस कदर बिगड़ के रख दिया है की उसे ये समझ में नही आ रहा है की गर्भ में पल रही बेटी की भ्रूण हत्या कर वह न सिर्फ़ पाप कर रहा है बल्कि प्रकृति के विकाश में भी बाधा खड़ी कर रहा है। इन्सान के इस कदम की तुलना हम कालिदास के उस प्रसंग से कर सकते है ,जिसमे वे उसी डाली को काट रहे है जिसपे बैठे है ,परिणाम क्या होगा सबको पता है सिर्फ़ डाली काटने वाले मुर्ख को छोड़कर ,लेकिन अफ़सोस की जयादातर लोग कालिदास ही है ।
ख़बर को विस्तार से http://childhoodindia।blogspot।com/ पे देखे

1 टिप्पणी:

kamlesh yadav ने कहा…

sacchai yahi hai. ek khabar yaha bhi dekhe http://yahbhisachhai.blogspot.com