बहुत गर्मी है भाई चलो यही नहा ले ।
सोमवार, 27 अप्रैल 2009
रविवार, 26 अप्रैल 2009
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009
एक गधे का पत्र इंसानों के नाम
सभी भाइयो को इस गधे का सादर नमस्कार ,
आशा है आप और आपके सभी लोग अच्छे और भले होगे सिवाय मुझे छोड़कर ,
वैसे आजकल मै भी सुखी हूँ चुनाव आयोग की कृपा से ,क्योकि चुनाव के कारन आचर्सहिंता लगने से आन्दोलन जो बंद है ,आप को लग रहा होगा की आन्दोलन बंद होने और मेरे सुखी होने में क्या रिश्ता है ,बहुत बड़ा रिश्ता है ,आपको बाद में पता चलेगा मै तो भगवन से मनाता हूँ की साल में कम से कम चार बार चुनाव हो और मेरे सुख की घड़ी चलती रहे ।
अब आप जान ले की आन्दोलन नम होने से मै क्यो खुश होता हूँ ,क्योकि इन आंदोलनों का सबसे बड़ा शिकार तो मै ही होता
हूँ ,हर मौके पे आप लोग बलि का बकरा मुझे ही बनाते है ,मुंबई में राज ठाकरे उत्तर भारतीयों पर हमला करता है ,और आप मुझ पे हमला कर देते है आन्दोलन के बहाने आप मुझ पे चढ़ जाते है ,अरे भाई राज ठाकरे की गलती की सजा मुझे क्यो ?
आतंकवादी कही बम धमाका करते है और आप मेरे पीठ पे आतंकवादी और पाकिस्तान का पोस्टर लगा कर सड़क पर घुमाते है और लगे हाथ जुते चप्पलो से ठुकाई भी
कर देते है , नेता भ्रस्ताचार करते है और मेरे पीठ पे ब्र्ह्स्ताचारी की मुहर लगा देते है ,बिजली कट गए तो बिजली बिभाग के
सामने मुझे विभाग का अधिकारी बनाकर डंडे से पिटाई की जाती
सामने मुझे विभाग का अधिकारी बनाकर डंडे से पिटाई की जाती
है और पोस्टर पे मै चोर हूँ लिखकर मेरे पीठ पे लगा दिया जाता है , आख़िर क्यो दुसरे की गलतियों की सजा मुझे मिल रही है । क्या इस दुनिया में सीधा होना गुनाह है ,मै भगवन से भी पूछता हूँ की मुझे सीधा जानवर क्यो बनाया ,एक तो मेरा मुह ऐसा बनाया के जिसमे ऐसा कुछ भी नही की कोई दुबारा देखना चाहे उस पर भी मेरी किस्मत dhobi से बाँध दी जो हर सुबह पीठ पर कपड़े का gatthar laad कर घाट का सैर कराने ले कर चल देता है अपने तो कपड़ा dhota है मुझे tej dhoop में छोड़ देता है , और जब कभी कोई आन्दोलन करने wala आ जाता है तो उस दिन वो मेरी dusri shift भी लगा देता है ,kahne को तो मुझे आदमी माँ sitla devi का sawari manta है लेकिन मेरी जो hajamat और jalalat आप आदमी करते है उससे मै खून के आंसू rota हूँ ।
बस आप से एक ही gujarish है की मुझे भी insan समझे क्योकि मै भी आपका ही हूँ क्योकि aksar मैंने सुना है आदमी ,आदमी को kahta है गधे कही के तो फिर मुझसे ये berukhi क्यो ।
आपका अपना ही
gardhab singh
सावधान
आपका बेटा कुंवारा रह जाएगा ।
उपर लिखा शीर्षक पढ़कर बहुतो को यह कोई हास्य रचना या कोई सनसनी वाली ख़बर लगेगी ,लेकिन यकीं मानिये ये एक ऐसी चेतावनी है जिससे आप सावधान नही हुए तो आपको अपने बेटे के लिए सुंदर और सुशिल बहु लाने की इच्छा दुस्व्पन बनकर रह जायेगी । देश में जिस कदर भ्रूण हत्या का दर बढ़ रहा है और लड़कियों की संख्या लड़को के अनुपात में कम हो रही है ऐसे में कोई आश्चर्य नही की आने वाले समय में लड़को को उम्र भर कुंवारा रहना पड़ जाए । यह बाते अभी भले ही मजाक लगे मगर देश की जनसँख्या के आंकडो का अध्यन करे तो जो तस्वीर उभरकर सामने आती है वह यह बता रही है की देश में ६१ लाख लड़को के लिये लड़किया नही है ,ऐसे में सामाजिक व्यवस्था जिश कदर प्रभावित होगी वह एक नयी समस्या बन सकती है ।
२००१ के जनसँख्या आंकडे में जो लिंगानुपात दर्शया गया है वह न सिर्फ़ चिंता का विषय है बल्कि आधुनिक परिवेश में भी पित्रसत्तात्मक सोच के बुलंद हौसलों को दर्शाता है । दरअसल बेटा पैदा करने की चाहत और बेटे की ही मुखाग्नि से मोक्ष मिलने की धारणा ने इन्सान के मानसिक संतुलन को इस कदर बिगड़ के रख दिया है की उसे ये समझ में नही आ रहा है की गर्भ में पल रही बेटी की भ्रूण हत्या कर वह न सिर्फ़ पाप कर रहा है बल्कि प्रकृति के विकाश में भी बाधा खड़ी कर रहा है। इन्सान के इस कदम की तुलना हम कालिदास के उस प्रसंग से कर सकते है ,जिसमे वे उसी डाली को काट रहे है जिसपे बैठे है ,परिणाम क्या होगा सबको पता है सिर्फ़ डाली काटने वाले मुर्ख को छोड़कर ,लेकिन अफ़सोस की जयादातर लोग कालिदास ही है ।
उपर लिखा शीर्षक पढ़कर बहुतो को यह कोई हास्य रचना या कोई सनसनी वाली ख़बर लगेगी ,लेकिन यकीं मानिये ये एक ऐसी चेतावनी है जिससे आप सावधान नही हुए तो आपको अपने बेटे के लिए सुंदर और सुशिल बहु लाने की इच्छा दुस्व्पन बनकर रह जायेगी । देश में जिस कदर भ्रूण हत्या का दर बढ़ रहा है और लड़कियों की संख्या लड़को के अनुपात में कम हो रही है ऐसे में कोई आश्चर्य नही की आने वाले समय में लड़को को उम्र भर कुंवारा रहना पड़ जाए । यह बाते अभी भले ही मजाक लगे मगर देश की जनसँख्या के आंकडो का अध्यन करे तो जो तस्वीर उभरकर सामने आती है वह यह बता रही है की देश में ६१ लाख लड़को के लिये लड़किया नही है ,ऐसे में सामाजिक व्यवस्था जिश कदर प्रभावित होगी वह एक नयी समस्या बन सकती है ।
२००१ के जनसँख्या आंकडे में जो लिंगानुपात दर्शया गया है वह न सिर्फ़ चिंता का विषय है बल्कि आधुनिक परिवेश में भी पित्रसत्तात्मक सोच के बुलंद हौसलों को दर्शाता है । दरअसल बेटा पैदा करने की चाहत और बेटे की ही मुखाग्नि से मोक्ष मिलने की धारणा ने इन्सान के मानसिक संतुलन को इस कदर बिगड़ के रख दिया है की उसे ये समझ में नही आ रहा है की गर्भ में पल रही बेटी की भ्रूण हत्या कर वह न सिर्फ़ पाप कर रहा है बल्कि प्रकृति के विकाश में भी बाधा खड़ी कर रहा है। इन्सान के इस कदम की तुलना हम कालिदास के उस प्रसंग से कर सकते है ,जिसमे वे उसी डाली को काट रहे है जिसपे बैठे है ,परिणाम क्या होगा सबको पता है सिर्फ़ डाली काटने वाले मुर्ख को छोड़कर ,लेकिन अफ़सोस की जयादातर लोग कालिदास ही है ।
ख़बर को विस्तार से http://childhoodindia।blogspot।com/ पे देखे
गुरुवार, 23 अप्रैल 2009
गुरुवार, 16 अप्रैल 2009
...और बन गए मीडया की मज़बूरी
१६ तारीख बीत चुके है ,चुनाव का पहला चरण अपने चरणों के निचे प्रत्यासियों का परिणाम दबाय खड़ा दुसरे चरण की और पग बढ़ा दिया है ,ये चुनाव इस बार कई चीजो के लिए यद् किया जाएगा खासकर मीडिया में पैसे के बदले मैनज ख़बर छपने और दिखाने के लिए , इसमे कोई दो राय नही की मीडिया ने इस चुनाव में आम जनता को गुमराह किया है ,चुनाव में मीडिया का गुप्त एजेंडा है पैसा नही तो ख़बर नही ,जिसके शिकार वो लोग हो गए जो बड़े उत्साह से ईमानदारी की जमा पूंजी के बदौलत लोकतंत्र के महापर्व में किस्मत आजमाने आए थे ,ऐसे ही एक युवक है गोरखपुर के राजन यादव जो लोकसभा केचुनाव लड़कर कुछ नया करने की सोच रहे थे इनोहने ६ माह से चुनाव की तयारी शुरू कर दी थी और लगातार जनता के बिच रहे इस दौरान राजन ने ग्रामीण एरिया में बहुत काम किया गरीबो के राशन कार्ड बनवाने से लेकर कोटेदार के खिलाफ धरने पे भी बैठे विधवा और विकलांग पेंसन के लिए लडाई लड़ी भुखमरी और बेरोजगारी के लिए जिमेवार लेखपाल से लेकर तहसीलदार के खिलाफ मोर्चा खोला कई बार जेल जाने की भी नौबत आई लेकिन ग्रामीणों के जनसहयोग के आगे राजन से परेशां गोरखपुर के जिला प्रशासन कुछ कर नही सका ,राजन के संघर्ष के परिणाम ये रहा की बहुत से गरीबो के कार्ड बन गया और भे बहुत कम कराया राजन ने ,लेकिन दस आदमी के धरने को फोटो के साथ छाप देने वाला मीडिया राजन के संघर्ष को कभी दो लाइन के ख़बर लायक नही समझा ऐसे में राजन बहुत निराश था की जब मीडिया उनकी बातो उनकी लडाई को न तो छपती है न दिखाती है तो भला चुनाव में उनकी बात जनता तक कैसे पहुचेगी ,
उन्होंने कई पत्रकारों से गुहार लगाई लेकिन उन्हें जल्दी समझ आ गया की उनकी गलती ये है की २६ जनवरी १५ ऑगस्ट, होली, दिवाली के मौके पे कभी कोई सुभकामना संदेश के विज्ञापन नही छपवाया और चले आए नेता बनने । राजन को बात देर से समझ में आयी के बिना छपे नेता नही बनता और साधारण चीज मुफ्त में नही छपती ऐसे में मनेजमेंट के इस स्टुडेंट को एक शुभचिंतक पत्रकार ने सुझाया की बेटा राजन यदि छापना चाहते हो तो आसाधारण बनो कुछ ऐसा करो की मीडिया की मज़बूरी बन जाओ । बात राजन को समझ में आ गयी और उसके बाद तो राजन रोज न सिर्फ़ अखबारों में छपने लगे बल्कि देश के तमाम राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल की हेड लाइन बन गए कुछ चैनल ने तो राजन को आधा घंटा के स्पेशल बुलेटिन में रखा ,हुआ यु की उस पत्रकार की सलाह से राजन ने अपने चुनाव के अंदाज ही बदल दिया राजन ने २०० रुपये में एक अर्थी खरीदी और अपने ४ साथियों को की मदद से अर्थी पे बैठ कर नामांकन करने पहुच गए ,योगी आदित्य नाथ भोजपुरी अभिनेता मनोज तिवारी के इंतजार में खड़ी मीडिया को लगा अरे इससे बड़ी ख़बर और क्या हो सकती है फिर क्या था दिल से ईमानदारी के काम के वावजूद कभी दो लाइन की ख़बर न बन्ने वाले राजन नौटंकी के बदौलत सभी आख्बरो में दुसरे दिन राजन के ही जलवे थे राजन को अब पता चल गया के ये मीडिया क्या चाहती है और राजन ने अपना चुनाव कार्यालय भी शमसान घाट पे खोल लिया और प्रतिदिन सुबह ४ कन्धा देने वाले मित्रो के मदद से अर्थी पे बैठकर जनसंपर्क उनकी दिनचर्या बन गयी ,स्थानीय अखबारों में ख़बर देख कर देश की तमाम बड़े प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि गोरखपुर पहुचने लगे और देश के तमाम पत्र पत्रिकाए समेत विदेशी न्यूज़ एजेंसियों की लाइन लगने लगी राजन के शमसान वाले कार्यालय ,राजन से जब कोई पत्रकार अर्थी के कारन पूछता तो वे सधे और मंजे नेता की तरह जवाब देते की राजन अपनी जनता के लिये मरने को भी तैयार है और मेरे मरने के बाद किसी को मेरे लिए अर्थी जुटाने की तकलीफ भे न करने पड़े इसलिये मैंने अपना कार्यालय भी शमसान में खोला है और वही नेता जनता की सेवा कर सकता है जो जीवन के अन्तिम सत्य मौत के स्वागत के लिए तैयार रहे
सोमवार, 13 अप्रैल 2009
नो पूर्वांचल नो वोट
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2009
सबसे बड़ा कालीन
कहने को भले ही चाइना दुनिया में कालीन और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में नम्बर एक होने का दावा कर रहा हो लेकिन उसे अपने देश में खुल रहे होटल हयात में बिछने वाले कालीन के लिए भारत के आगे हाथ फैलाना पड़ा है ,
दुनिया के सबसे बड़े सेवन स्टार होटल हयात ने अपने बैन कटिंग हाल के लिए भादोही
के कालीन निर्माता उमर एंड संस को १६० फुट लंबे और ११३ फुट चौडे कालीन बनने का आर्डर दिया है जिसको बनाने में इन दिनों १९० बुनकर दिनरात एक कर लगे है , कालीन निर्माता जाबिर अंसारी के अनुसार यह दुनिया में बिछने वाला अब तक का सबसे बड़ा कालीन है ,तेरह शिफ्टों में बन रहे इस कालीन में १०३०६८ गठे है और इसका वजन ७०० किवंटल है और इसकी लागत १५ लाख रुपये है
बुधवार, 8 अप्रैल 2009
नेता जी कहिन
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में पूर्वांचल में इन दिनों सभी पार्टी के नेताऒ के दौरे हो रहे है और सभी अपने तरकश से जुबानी तीर चला रहे है ,आप भी जानिए किसने किसपे कौन सा तीर चलाया
वर्तमान सरकार आतंकवाद का सामना करने में विफल है
किसान आत्महत्या कर रहे है
जय श्री राम का नारा तभी सार्थक होगा जब राम मन्दिर बन जाएगा
( अडवानी गोरखपुर में )
(सोनिया ,बांसगाव में )
वर्तमान सरकार आतंकवाद का सामना करने में विफल है
किसान आत्महत्या कर रहे है
जय श्री राम का नारा तभी सार्थक होगा जब राम मन्दिर बन जाएगा
( अडवानी गोरखपुर में )
जब संसद पे हमला हुआ था तब देश का गृहमंत्री कौन था
(सोनिया ,बांसगाव में )
विमान अपहरण कांड में आतंकवादियो के सामने किसने घुटने टेक दिए
हम गरीबो का विकास करना चाहते है
( राहुल ,महराजगंज में )
सोनिया और उसका दुधमुहा बेटा की हालत खिसयानी बिल्ली वाली है
जो खम्भा नोचने का काम कर रही है
( योगी आदित्य नाथ ,गोरखपुर में )
जनता भाजपा को को विकल्प के रूप में देख रही है
लालू मुलायम को फिर धोखा देगे
( नीतिश कुमार बलिया में )
( संजय दत्त गोरखपुर में मतदाताओ से )
सरकार बदल दो नौकरी वापस मिल जायेगी
(मुलायम ,बलिया में )
(मुलायम ,बलिया में )
( अशोक सिंघल , गोरखपुर में )
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