सोमवार, 17 अगस्त 2009

क्या यही है ६२ साल का आजाद भारत ?

देश इस साल जब आजादी के जश्न की तैयारी करने में मशगुल था ठीक उसी समय उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद में एक महिला को ,उसके ही पति और लड़को ने ऐसे अपमानित हाल में दुनिया की नजरो में ला खड़ा किया जो १५ अगस्त १९४७ से पहले भी महिलाओ के साथ नही होता था ।
पिपराइच थाना के कोनी गाव की गमला देवी नमक ५० वर्ष की महिला उसके पति और लड़को ने १३ अगस्त को उसपर बदचलनी का आरोप लगाकर पहले तो उसकी पिटाई की उसके बाद उसके सर के बाल काट डाले और बिच सर में बाल को छील कर अर्ध मुंडन कर घर से निकल दिया ,
घटना के बाद गमला देवी पुलिस स्टेशन जा कर थानेदार से इस घटना की शिकायत भी की ,लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी ,थक हार कर गमला वापस गाव लौट गयी । घटना की जानकारी जब पत्रकारों को हुई तो कुछ पत्रकार कोनी गाव गए और घटना की जानकारी के बाद जब पुलिस स्टेशन गए और ये जानना चाहा की मामले पे पुलिस ने क्या
किया ,तो वहा बैठे थानेदार साहब ने जो कहा उसे सुन कर सभी पत्रकार स्तब्ध रह गए ,थानेदार साहब ने उल्टे गमला देवी को चरित्रहीन बताते हुए पत्रकारों से ही पूछा ,की यदि जिसकी औरत दुसरे मर्द के साथ भाग जायेगी तो वो क्या करेगा ?
अगर आप भी सुनना चाहता है की दरोगा ने क्या कहा तो निचे के विजुअल में देखे और सुने , ये बाते कुछ पत्रकारों ने{ जब दरोगा जी कैमरे के सामने बोलने से इंकार कर दिया } चुपके से रिकार्ड कर लिया था ।
बातचीत के अंश इस प्रकार है
दरोगा -बजरंगी सिंह ,इसको रखा है बहुत दिन से
पत्रकार -महिला को रखा है ?
दरोगा -साल भर पहले इसको लेकर वो भाग गया
पत्रकार -बज्रंगिया ?
दरोगा -हु
पत्रकार -अच्छा --फिर
दरोगा -साल भर ये सब लेकर रहे पता नही कहा --तो इधर आयी है दो चार दिन से तो अब वो घर में रहना चाह रही है तो उसके --कोई किसी की औरत भाग जायेगीऔर माँ भाग जायेगी साली इस उमर में
पत्रकार -हु हु
दरोगा -मतलब उसकी उमर ५० साल होगी उसके लड़के की शादी है पतोह है
पत्रकार -५० साल की है
दरोगा -और क्या ? तब तो मरे होगे फैमली वाले ,ऐसा नही है की किसी अन्य जात द्वारा मारा गया हो
पत्रकार -ह ह ह
दरोगा -ये कोई बहुत बड़ी ख़बर नही है लेकिन आप लोग जो इच्छा करे छाप दीजिये -कोई बड़ी ख़बर नही है ये तो उसका है, व्यक्तिगत पारिवारिक मामला
पत्रकार -कभी कोई कार्यवाई हुई तो थानेदार है मुकदमा --
दरोगा -मुकदमा , तो क्या ,उसका पति मारा है उसके खिलाफ मुकदमा लिखायेगा
पत्रकार -बाल काटना क्या अपराध नही है ?
दरोगा -मान लो पिता जी आपके बाल काट देये तो कौन सा बड़ा अपराधी होगे ,हमको बता दीजिये मान लो आप से गुस्सा गए ,ये आम बात है हम लोग छोटे छोटे थे बाल बड़े बड़े रखते थे ,बाल पकड़ कर छिलवा दिया जाता था ,
पत्रकार - और आप उसी उम्र में मुकदमा दर्ज कराने चले गए होते तो कानून आपका मुकदमा दर्ज करता
दरोगा -नही करता
पत्रकार -आपकी इच्छा के विपरीत --
दरोगा -वों तो मे जानता हु लेकिन हर चीज का
पत्रकार -वो तो एक अलग बात है की माँ बाप --
दरोगा -आपकों ये मारते (बगल के आदमी की तरफ़ इशारा करते हुए )तब वो अपराध है , लेकिन वो इतना आवारा टैप की साली है जिसके बड़े बड़े बेटे है और इस उमर में भाग कर किसी दुसरे के साथ रह रही है
पत्रकार -भइया उसका नमवा जरा बता दीजिये
दरोगा -नमवा तो उसका सिपाही को दे दिया हु
पत्रकार -पासवान ,---पासी --दलित तो ये होते नही है ?
दरोगा -दलित होते है
एक अन्य -दलित है
दरोगा -दलित ये भी है ,दलित वो भी है , इसमे कौन बड़ी बात है ,आय -ह , ह।
पत्रकार -दूसरा कोई करता --
दरोगा -हु -तब तो ख़बर बनती --ऐसा है इ गुंडई नही न है ,बात समझ रहे है हमारी आप ,यहाँ पे गुंडई नही है ,जो गुंडई शब्द है --जिसकी माँ ५० साल उमर में आवारा गर्दी करेगी उसका लड़का कैसे गाव में जीता होगा वही जनता होगा
पत्रकार - सही बात आप --
ये वार्तालाप सुनकर आप समझ गए होगे की आज भी इस आजाद देश में कानून कौन और कैसे चलता है ,
कितना सुरक्षित है आम आदमी का मानवाधिकार , कितनी लाचार है महिला ६२ साल के आजाद भारत में ,।
ये घटना इस बात को तो प्रमाणित कर ही देती है की भले ही राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री जैसे पदों पर महिला बैठी हो ,देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को एक महिला अपने इशारे से चला रही हो ,लेकिन महिला आज भी सिर्फ़ बेचारी ,बेचारी और सिर्फ़ बेचारी ही है । इतना ही नही गमला देवी जैसे महिलाओ की ये दशा एक प्रश्न ये भी खड़ा कर रही है की पुरूष प्रधान देश में महिलाये कैसे इतनी आगे पहुच गयी है ? क्या है राज ? जो गमला देवी नही जान पाई ।

बरहाल घटना के ४ दिन बीत गए है और गमला को न्याय नही मिला । इस बारे में पुलिस का कहना है की उसने मुकदमा लिखाया ही नही और उसका पति से समझौता हो गया है ।
हमारे कानून में ऐसे कोई धारा शायद नही है जो गमला जैसी महिलाओ को न्याय दिला सके ?हां ऐसा ऐसा नियम जरुर है की जबरन समझौता करा दिया जाए
क्या जरुरत नही है ऐसे कानून और व्यवस्था को बदलने की या यु कहे की पिछले ६२ सालो में हमें तो आदत पड़ गयी है इसी तरह जीने की ????//?????

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

ये तो कुछ भी नहीं है.जब तक राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री भारत के मुख्य न्यायाधीश दुध से ना धुले हों ये होता रहेगा और आप और मेरे जैसे लोग कुत्तो की तरह रोते रहेंगे और भोंकते रहेंगे....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....हा.....!!!!!!!!ही!!!!!!!!हू!!!!! हें.....