मंगलवार, 28 जुलाई 2009

रक्षा बंधन पर भाइयो से कर रही गुहार बेटिया

घर भर को जन्नत बनाती है बेटियाँ॥!
अपनी तब्बुसम से इसे सजाती है बेटियाँ॥

पिघलती है अश्क बनके ,माँ के दर्द से॥!
रोते हुए भी बाबुल को हंसाती है बेटियाँ॥
!
सुबह की अजान सी प्यारी लगे॥,
मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ॥


सहती है दुनिया के सारे ग़म,
फ़िर भी सभी रिश्ते .निभाती है बेटियाँ


मन्दिर की आरती मस्जिद की अजान बेटियाँ गुरुग्रंथ गीता बाईबल कुरान बेटियाँ
हंसती मुस्कुराती खिलखिलाती बेटियाँ
हर मुश्किल को हंस के सुलझातीं बेटियाँ
माँ बाप की आंखों का तारा बेटियाँ
उनके बुढापे का सहारा बेटियाँ
हर अल्फाज़ का इशारा बेटियाँ हर खुशी का नजारा बेटियाँ
फूल सी बिखेरती है चारों और खुशबू,
फ़िर भी न जाने क्यूँ मार दी जाती है बेटियाँ

एक नहीं दो परिवारों की शान है बेटिया भाई के कलाई की पहचान है बेटिया

रक्षा बंधन पर भाइयो से कर रही गुहार बेटिया
बस, अब तो मत मारो

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